अनुभव - कल्कि भगवान ने अनुभव में यह कहा कि मेरी अराधना से परेशानियों से निकलने के साथ-साथ आपके (कल्कि समाज) पास पूरे साधन है। फिर भी प्रचार का कार्य ठीक से क्यों नही हो रहा है। मेरे प्रचार के कार्य को संतो की तरह करे। उसी तरह जैसे संत हर शहर-शहर जाकर भगवान की महिमा को बताते है।
उपचार - एक रूपये दो बताशे विश्वकर्मा जी एक रूपये दो बताशे वासुकि जी
प्रार्थना- हे श्री कल्कि मुझे अति आत्मविश्वास से बचाए। मुझे अपने कार्यों को करने की शक्ति प्रदान कीजिए। मेरे अंदर जो भी आलस्य, लापरवाही है उसे हटाएं। हमें कल्कि जी का काम करना है।
अर्थ - आज भक्त के पास पूरे साधन आ गए, पूरी सुख-सुविधा मिलने के बाद भी कल्कि जी के कार्यों में लापरवाही करते हैं।। उनकी पूजा पुकार में न तो वह ललक रही। कल्कि नाम को पकड़कर जप, पूजा से देखते ही देखते भक्त विषम परिस्थितियों से जब सुखद परिस्थितियों में आता है तो जो पिछले जन्मों के तपस्वी, रईस व्यसनी हो गए हैं और वह भी अब भगवान को निर्देश देने लगते हैं जो धर्म के विपरीत है।यह अवतार का मामला है इसमें कल्कि जी के योगी योगिनी (आयकर विभाग) इतने प्रबल हैं कि वह इस कृत्प्जता को सहन नहीं कर पाते और भक्त को इतने प्यार से झटका देते हैं कि वह जहाँ से चला था वहीं पहुंच जाता है।
अतः ध्यान रहे कि सफलता के अहंकार में उन सीढ़ियों को न भूलें जिन पर चढ़ कर आप इस ऊँचाई तक पहुंचे हैं क्योंकि अति आत्मविश्वास एवं लापरवाही से जब मनुष्य नीचे उतरता हैं तो बिना सीढ़ियों के उसके दाँत तक टूट सकते हैं और चेहरे की रंगत पहले जैसी हो जाती है। अतः भक्त को कल्कि जी के कार्यों के लिए आलस्य को त्याग कर, पूरी निष्ठा के साथ कल्कि जी के प्रचार के कार्यों को करना होगा।
मामाजी 9312533445