लगे रहो कल्कि के प्यारों लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग की तैयारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग.... परम उपासक कलि कुल नाशक पद्मापति सुखधाम के धन्य तुम्हारा जीवन जो हरि हाथ बिके बिन दाम के खर शूकर सम जीयें जगत में वे नर हैं किस काम के बहुत बड़ा है अन्तर तुम में और पुरुष संसारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग... उतरेगा भू-भार तुम्हारे कल्कि कल्कि कहने से हो जाओगे अमर धर्म के कारण संकट सहने से सुख पाएगा मन कल्कि के चरण कमल में रहने से डूबे कल्कि नाम बिना नर भव सागर में बहने से नेह तुम्हारा बढ़े निरन्तर निष्कलंक अवतारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग.. जग में जिनके परम सहायक गुरुवर बालमुकुन्द हैं वे चट्टान समान सुदृढ़ संताप रहित स्वछन्द हैं कल्कि के अनुभव से उनके उर में अति आनन्द हैं क्या देखें कल्कि की लीला जिनकी आँखे बंद हैं जीव भजन बिन पल्लव सब उड़ते अंधड़ अंधियारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग... कल्कि नाम सुनेंगे तुमसे संस्कारी बल पाएंगे भक्त रहेंगे संग प्रमादी पाखण्डी टल जाएंगे व्याकुल होकर दशो दिशाओं में दानव दल धाएंगे शुभ कर्मों के आज नहीं तो कल आगे फल आएंगे नहीं रहेंगे विप्र धेनु सुर संत सदा लाचारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग.. दिव्य लोक से तम्हें भुवन पति ने भूतल पर भेजा है क्या जानो किसलिये तुम्हारा रूप बदलकर भेजा है कलियुग से टक्कर लेने को किसके बल पर भेजा है केवल कल्कि नाम न भूलो जिसके बल पर भेजा है काल समाया है कलियुग का कल्कि नाम दुधारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग... काम लगन से कल्कि का जो तन रहते कर लेंगे ध्यानावस्थित हो कल्कि के चरणों में सिर धर लेंगे कथा सुनेंगे श्रवण नयन हरि के हित झर-झर लेंगे उनके अगले पिछले पातक कल्कि पल में हर लेंगे देंगे स्थान उन्हें सत्युग के अग्रिम दल दरबारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग... जो जन धन वैभव के मद में कल्कि नाम को भूलेंगे दर्पण में प्रतिबिम्ब देख निज सुन्दरता पर फूलेंगे मन विहंग आकांशाओं के विस्तृत नभ को छु लेंगे पछताएंगे प्राण मृत्यु के झूले में जब झूलेंगे सुख चाहो तो रमो रमापति पद पंकज मदहारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग... कह दो सब से कल्कि जी का खड़ग खड़कने वाला है शंकर का विकराल तीसरा नेत्र फड़कने वाला है शीशे सम कलियुग का तन तत्काल तड़कने वाला है अखिल विश्व में भीम भयंकर युद्ध भड़कने वाला है कौन सुनेगा अमन शांति का नारा मारामारी में धूम मचा दो कल्कि के आने की दुनिया सारी में लगे रहो कल्कि के प्यारों सत्युग"