भगवान तुम्हारी दुनिया में भावार्थः प्रस्तुत भजन में लेखक श्री कल्कि भगवान से विनती कर रहे हैं कि हे प्रभु मेरी अंधेरे जीवन में एक आप ही उम्मीद की किरण है। मैं बड़ी आस लेकर आपके पास आया हूँ मुझे खाली हाथ मत लौटा देना। मेरी जीवन रूपी नाव को मंझधार से पार लगा देना। भगवान तुम्हारी दुनिया में दुखिया का सहारा कोई नहीं जो दर-दर भटकने वाले हैं उनका निस्तारा कोई नहीं तुम सब की सुनने वाले हो मेरी भी सुनो तो मैं जानूँ कुछ तुम भी मुझ को पहचानो कुछ मैं भी तुमको पहचानूँ पतवार बिना मझधार में इस किश्ती का किनारा कोई नहीं जो दर-दर भटकने वाले हैं उनका ॥ 1 ॥ औरों की तरह अपने दर से तुम भी न मुझे लौटा देना मैं आस लगा कर आया हूँ मुझे अपने दिल में जगह देना इस अंधेरे में मेरी किस्मत का रोशन है सितारा कोई नहीं जो दर-दर भटकने वाले हैं उनका ।। 2