कल्कि कल्कि कहते जाना कल्कि कल्कि कहते जाना चित्त उनके चरनों में लगाना कल्कि कहोगे सुख से रहोगे भजन बिना मन दुख ही सहोगे नाम रतन धन खूब कमाना दोनों लोक बनाना, कल्कि कल्कि ॥1॥ नवयुग के अवतार हैं कल्कि आये हरने भार हैं कल्कि दानवी जग होगा वीराना तुम उनके मन भाना, कल्कि कल्कि ॥ 2 ॥