पितृ संबंधित समस्या / पितृ दोष

1. अनुभव में यदि को बीमार दिखे जो अब नहीं है 

 मृत पिताजी को बीमार देखना -> स्वपनानुभव :15 मई, 2005 को मेरे पिताजी के आकस्मिक निधन के लगभग डेढ़ महीने बाद मुझे स्वप्न अनुभव हुआ जिसमें मेरे पिताजी बीमार दिखे। 

"मैंने चाचाजी (मामाजी) से पूछा कि इसका मतलब क्या हुआ? इस पर उन्होंने कहा, वह दुखी हैं। उपचार में उनका एक सीधा दे दो। 

स्वधा देवी

                             स्वधा महारानी (पित्रों की अधिष्ठात्री देवी)

 जय श्री कल्कि जय माता की एक माला का फल स्वधा महारानी (पित्रों की अधिष्ठात्री देवी) को अर्पण करें और कहें कि इसका फल मेरे पिताजी को मिले। वह जिस बीमारी (परेशानी) में हैं उससे उन्हें निकालें।



कमाल है मुझे पांच दिन बाद दोबारा पिताजी स्वस्थ हंसते हुए दिखे। मुझे बड़ा अचंभा हुआ कि कितने सटीक हैं श्री कल्कि जी के उपचार जिसने उन्हें स्वास्थ व प्रसन्नता प्रदान करा दी।"


2. अगर दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति उनके देहांत होने के बाद आपको अनुभव में दिखे 

मृत चाचा से लड़ाई-झगड़ा ->


 स्वपनानुभव : मेरे चाचा मोहनलाल जी का देहांत हुए 5 साल हो चुके हैं और जब तक वे जीवित रहे केवल मेरा और मेरे पूरे परिवार का बुरा चाहते थे। मूल रूप से वो बहुत ही दुष्ट प्रकृति के व्यक्ति थे और अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को तकलीफ देकर उन्हें आनंद आता था। पिछले दो महीने से वो तीन चार बार मेरे स्वपनानुभव में आए और हर बार मुझसे लड़ाई-झगड़ा किया।

स्वपनानुभव मैंने अपनी बहन सुश्री इंदू बंसल को बताई और उसने मुझे कहा कि आप कुछ दिनों के लिए उनका पितृ-तर्पण करें। मैं कुछ दिनों से पितृ-तर्पण कर रहा था। उस समय मुझे यह अनुभव आया। आज से दस वर्ष पूर्व हम लोगों का संयुक्त परिवार था और समस्त व्यापार का नियंत्रण मेरे चाचा मोहनलाल जी के हाथों में था। वो अपने सामने किसी को कुछ समझते नहीं थे। उसी अवधि में मैंने उनका सामना किया, व्यापार अपने हाथों में लिया और फिर कुछ दिनों बाद उन्हें उनका हिस्सा देकर सारा व्यापार अपने नियंत्रण में कर लिया।


मैंने अनुभव में देखा कि जिस कुर्सी पर मेरे चाचा मोहनलाल बैठा करते थे मैं उसी कुर्सी पर बैठा हूँ और मेरे बगल में 500-1000 के नोटों की गड्डियाँ रखी हुई हैं। लेकिन मैं 5-5 के तीस-चालीस नोटों को गिन रहा हूँ। उससे मेरे शरीर में शक्ति का संचार हो रहा है। (जब-जब मोहन बाबू दिखते थे मेरी बहन सुश्री इंदू बंसल मेरे से सीधा और पानी की बोतल निकलवाती थी) इतने में मोहन बाबू ऑफिस में मेरी चाची के साथ आते हैं। (मेरी चाची अभी जिंदा हैं।) मेरी चाची बोलती हैं, मेरे चाचा से कि देखिए आपकी कुर्सी पर बैठा है। मोहन बाबू बड़ी तेजी से मार-पीट करने के उद्देश्य से बढ़ते हैं। मैं भी उसी तेजी से उनकी ओर बढ़ता हूँ और उनसे पंजे से पंजा मिलाकर और छाती से छाती मिलाकर उनसे कहता हूँ कि आपको झगड़ा करना है या समझौता करना है। बस इस बात पर मोहन बाबू अपनी पत्नी के साथ चुपचाप वापिस चले जाते हैं। उसी वक्त मेरे एक और चाचाजी जिनका नाम मुरली बाबू है, जिनको मरे हुए तीन साल हो चुके हैं बगल की कुर्सी पर बैठे हुए दिखाई देते हैं।


और जब मोहन बाबू शांत होकर जा रहे हैं तब मुरली बाबू दिखते हैं और वो मोहन बाबू को भड़काने की चेष्टा करते हैं । मैं उनका मुँह पकड़कर दबाते हुए बोलता हूं कि जब झगड़ा खत्म हो गया है तो आप इसको क्यों बढ़ा रहे हैं। जब ये चाचाजी से मेरा झगड़ा हो रहा था बगल में मेरे भाई खड़े हैं, कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहा है। मैं वैसे बहुत निडर आदमी हूँ और मुझे रात के 2 बजे शमशान घाट जाने में भी डर नहीं लगता, लेकिन इस अनुभव के बाद मैं बहुत डरा हुआ महसूस कर रहा था। मेरे दोनों हाथों में जिससे मैंने मोहन बाबू को पकड़ा था इस तरह का अहसास था कि जैसे दोनों हाथों ने बहुत मेहनत वाला काम किया है। और अधिक श्रम के कारण बेजान से लग रहे थे। अब मुझे डर के कारण नींद नहीं आ रही थी। एकाएक मेरा मस्तिष्क अपने आप गायत्री मंत्र और कल्कि महामंत्र का जाप करने लगता है। और मेरा डर अपने आप दूर हो जाता है और मैं गहरी नींद में सो जाता हूँ।


स्वप्नानुभव : मैं देखता हूँ कि एक बहुत बड़े राजनीतिक नेता से मिलने गया हूँ और वहाँ भी रात के 2-3 बजे हैं। मैं नेता के घर से निकलता हूँ और अपने भाई के साथ उसकी गाड़ी में बैठ कर चल देता हूँ मध्यरात्रि का समय है और सड़कें सुनसान है मुझे एकाएक ध्यान आता है मैं तो अपनी भी गाड़ी लेकर आया था और मेरी गाड़ी और ड्राइवर तो मैं नेता के घर के नीचे छोड़कर आ गया। वैसे अभी मेरे पास सैंट्रो गाड़ी है और मैं स्विफट डिजायर लेने की सोच रहा हूँ। अनुभव में मुझे लगता है कि मेरे पास डिजायर गाड़ी है जो नेता के घर के नीचे खड़ी है। मैं अपने भाई के ड्राइवर को बोलता हूँ कि गाड़ी वापिस लेकर चलो, हमारी गाड़ी वहीं रह गई है। ड्राइवर गाड़ी घुमाता नहीं है बल्कि बैंक करके ही ले जा रहा है। अब मैं देखता हूँ कि गाड़ी के पीछे दो बदमाश आदमी आ रहे हैं और उनके आगे दो कुत्ते चल रहे हैं। कुत्ते मेरे देखते ही देखते शेर में बदल जाते हैं। मुझे अनुभव में बहुत डर लग रहा है। उसके बाद मैं नेता के घर पहुँचता हूँ तो देखता हूँ कि मेरे ड्राइवर का झगड़ा वहाँ बदमाश आदमी से हो रहा है। तब मैं उस बदमाश आदमी को धमकाता हूँ कि मुझसे जबरदस्ती का मत उलझ नहीं तो बहुत पछताएगा। और फिर बात खत्म हो जाती है।


इस अनुभव के बाद मैंने अपने चाचा के 4 वस्त्र और सीधा, पानी की बोतल और फिर प्रतिदिन उनका तर्पण करता रहा। ये तर्पण मैंने नवरात्रि की अष्टमी 19 अक्टूबर 2007 तक किया और फिर बंद कर दिया।


5 दिन के बाद मैंने अनुभव देखा कि हमारा 4 मंजिला पुश्तैनी मकान है। पहली मंजिल पर हम रहते हैं, दूसरी मंजिल पर मुरली चाचाजी और तीसरी मंजिल पर मोहन चाचाजी का परिवार रहता है। चौथी मंजिल पर छत है जो कॉमन है। मैं अनुभव में अपनी छत की ओर जा रहा हूँ जिसके लिए तीसरी मंजिल से होकर गुजरना पड़ेगा। मेरे मन में एक शंका है कि कहीं मोहन चाचाजी मुझे अपनी मंजिल के आगे न मिल जाएं। तीसरी मंजिल का मेन गेट खुला है, पर मुझे वो नजर नहीं आते तो मैं खुश हो कर छत की ओर बढ़ता हूँ, (अभी तक मेरे चाचाजी मुझे जब भी दिखते हैं तो बड़ी शान और शौकत से दिखते हैं और उग्र रूप में नजर आते हैं) अब मैं देखता हूँ कि मोहन चाचाजी छत के गेट पर बड़े मैले कुचैले कपड़ों में बैठे हैं, सिकुड़ कर छोटे हो गए हैं और बड़ी कमजोर स्थिति में हैं। मैं उनसे पूछता हूँ क्या खबर है मोहन बाबू तो वो बोलते हैं कि छत पर रिपेयर करवा रहा हूँ। अब मुझे छत के गेट से सामने का दृश्य नजर आता है। पीले रंग का दैवीय प्रकाश फैला है। सैकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं। किसी बड़े निर्माण की प्रक्रिया चल रही है और उस प्रकाश को देख कर मुझे एक सुखद अनुभूति हो रही है।


मैंने अपनी बहन सुश्री इंदू बंसल को ये अनुभव बताया उसने फिर सीधा, पानी की बोतल, और 5 रू का सिक्का निकलवाया और कहा कि मोहन चाचाजी अब कमजोर हो रहे हैं। आप फिर तर्पण चालू कर दीजिए जिससे वो आगे आपको तंग न कर सकें।


3. "कोई माने या न माने पितृों को तो भाग्यवान से भाग चाहिए"

मृत अंकल का चिल्लाना -> 

अनुभव - जन्माष्टमी का दिन है। एक मंदिर में मैं और मेरी माँ बैठी हैं। वहाँ बहुत शोर हो रहा है। मुझे अपने अंकल जिनकी मृत्यु हो चुकी है, दिखाई देते हैं, उन्हें पसीने आ रहे हैं, सफेद रंग की चादर बिछी है, उस पर लाल रंग से लिखा है ""6 पितृ "" और अदृश्य रूप से पितृ वहाँ बैठे भी हैं। मेरी माँ भगवान के दर्शन करके आती हैं। इतने में अंकल मुझपर जोर-जोर से चिल्लाते हैं। मैं डर कर उस सफेद चादर पर गिर जाती हूँ। म मी-म मी कह कर चिल्लाने लगती हूँ। माँ फौरन मेरी सहायता के लिये आती हैं, और मैं माँ के गले लगकर जोर-जोर से रोने लगती हूँ। अंकल धोखे से आकर हमें पकड़ लेते हैं और मैं चिल्लाने लगती हूँ।
अर्थ - अतृप्त पितृ शंकर जी के गण बन गए हैं। यहाँ दिख रहा है कि, परिवार के सदस्यों को घर व व्यापार में बेवजह क्लेश, धन आने में रूकावटें हो रही हैं असावधानि की तो और भी ज्यादा आएंगी।
उपचार - एक बार तुरन्त और बन पड़े तो प्रत्येक मावस के दिन भी सभी 

उपचार होंगे:-
1) उड़द की दाल की पि‌ट्ठी का गोला बनाकर बड़े की तरह बीच में जगह बनाकर, उसमें कच्चा दूध 3 बार छोटी करछी से डालकर उच्चारण करें।
"" ऊँ पितृ तृप्ताय नमः ""


2) शंकर जी का अभिषेक, और प्रार्थना हे शंकर भगवान! जो आपके गण कलियुगी, आसुरी व अतृप्त शक्तियाँ व मेरे परिवार का विनाश करना चाह रही हैं, इन्हें इनका भाग देकर स्वधा महारानी के पास वापिस भेजिए। हमें सुखी भाव से वैभवतापूर्वक कल्कि जी के प्राकट्य के प्रचार का कार्य करना है।
3) हथेली में काले तिल, जौं और चावल (मिले हुए) एक चुटकी भर लेकर पितृों का तर्पण करते हुए तीन बार बोले "" ऊँ पितृ तृप्तयां नमः "" हे स्वधा महारानी जो भी अतृप्त पितृ व पितरी हैं उन्हें श्राद्ध व श्राद्ध समर्पित उन्हें उनके लोक में पुनः स्थापित करें हम पर वह कृपा करें।
4) अंकल व अन्य पितरों का सिर्फ एक सीधा एवं प्रार्थना हे स्वधा महारानी ! इस सीधे के द्वारा अतृप्त पितृ को उनका भाग दिलवाइये। मेरे परिवार का बुरा होने से बचाएं। हमें कल्कि जी के प्रचार का कार्य करना है।


4.  पितृ से मिले कुछ टोटके (सलाह)

पितृ के टोटके -> 

 माना कि पितृ भगवान नहीं होते लेकिन उनकी बताई हुई बातें, जो बेहतरीन टोटके से हैं चाहें तो आजमाकर देखें। उनकी बताई हुई बातें अब तक हमने सत्य पाईं हैं। देश-विदेश की शादी में पितृ शक्तियों ने अनहोनी को होनी में बदलकर, कितने ही परिवारों की खुशियों को महज समय पर किये उपचारों (दान-पुण्य-कर्म) से मदद की। जिस प्रकार हमारा भौतिक संसार में तालमेल होता है वैसा पितृलोक में भी होता है।

 

पितृ से मिले कुछ टोटके (सलाह) -

1. इस जगत में कोई भी काम असंभव नहीं है।
2. पितृ देखता बोलता है (समझता है) सुन नहीं सकता l
3. तेज (शक्ति, प्रतिभा) के लिए प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाओ।
4. सिर में प्रतिदिन तेल लगाएं, चाहे कुछ बूंद ही सही।
5. सुहागन स्त्री को पति की आयु के लिए प्रतिदिन आवश्यक श्रृंगार- सिर में तेल (बेशक मामूली), चूड़ी, सिंदूर, बिंदी लगानी चाहिए।
6. भगवान श्री कल्कि की पूजा करते समय एक गिलास जल उनके सामने रखकर प्रार्थना करें कि हे कल्कि भगवान! मैंने जो यह जल रखा है, इसे अपनी शक्ति प्रदान करें ताकि इस जल की छींटों से मेरा घर पवित्र हो और यहाँ का वातावरण शुद्ध बना रहे। पूजा ही दुखों का निवारण व कल्याण करेगी।
7. नियम रखें, नियम न तोड़ें, नियम पर चलें।
8. भगवान हर मनुष्य को प्रतिदिन एक सुख किसी भी रूप में देता है। जबकि उनके हिसाब से एक गलत शब्द बोलना, गाली देना, आम भाषा में बात करना (मूर्ख है, गधा है, मरता भी नहीं एक गलत शब्द का अर्थ एक सुख खोना है। अतः अच्छा बोलकर प्रतिदिन सुख इकट्ठा करें, खोएं नहीं।
9. अब पितृ के बताए अनुसार सिर्फ दो सप्ताह तक गलत न बोलकर देखो तो सही कि आपके जीवन में कितना परिवर्तन आया क्योंकि पितु सत्य मार्गदर्शन करते हैं।
10. मरे हुए व्यक्ति के लिये बुरा बोलना व कुछ कहना, करना पाप है, उसका प्रभाव बोलने वाले के शरीर पर आएगा।
11. जो बच्चा कन्ट्रोल से बाहर जाता नजर आ रहा है, उसे कल्कि जी की आरती में सुबह-शाम अवश्य बैठाइये। आरती की जोत या घंटी उसे अवश्य दें। आरती के बाद दो भजन कोई से भी कल्कि जी के नियम से गायें। 4-6 सप्ताह में स्वयं परिवर्तन देख लें।

निष्कर्षः पत्री में वर्णित ग्रह भी इसके करने से बदले।
*सुबह स्कूल की वजह से संभव नहीं है तो कोई बात नहीं जिस दिन घर में हो तो सुबह भी कराएं।

 

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